इससे ज़्यादा खूबसूरत क्या
होगा....आपकी चाहत टकटकी लगाये आपको देख रही हो....ये हर रोज की तरह नहीं था....ये
खास वक़्त घड़ी की सुईयों के हिसाब से रात का वो आखिरी पहर था जिसमें नींद से
ज्यादा क़ीमती कुछ नहीं होता...लेकिन मेरे पास तो क़ीमती नहीं बेशक़ीमती चीज़
थी.....मेरी मासूम मुहब्बत की मासूम मुस्कुराहट...जुल्फों की उलझनों से बेपरवाह
नींद तुम्हें गिरफ्त में लेने को तैयार खड़ी थी....मैं तुम्हे देख रहा था उतने
प्यार से जितने प्यार से कभी नहीं देखा.....नींद का जिक्र किया तो तुमने मना कर
दिया...हालांकि नींद तुम्हारी आंखों में थी....और मेरी हसरत तुम्हें निहारने
की...तुमने करवट भी नहीं ली.. पता है क्यों...तुम चाहती थी अपने चांद को बच्चे की
तरह प्यार करने वाले की हसीन ख्वाहिश अधूरी ना रहे....इसलिए कि एक आवारा आशिक का
ख्वाब पूरा हो सके....एक खूबसूरत ख्वाब....... किस्सा-ए-इश्क..... आवारा आशिक...
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