बहुत दिन हुए तुम मुझसे पीछा छुड़ाती रही...अाज बैठी हो इस शाम में...
पता है कितना कुछ इस सीने में दफ्न है..कब से कुछ नहीं कहा..
शब्दों को दिल के किसी कोने में क़ैद कर रखा है...
पर आज दिल नहीं मान रहा..सबकुछ कह देना है तुमसे...
कह देना है कि मुझसे ज्यादा तुमसे कोई मुहब्बत नहीं करता...
हो सकता है फिर तुमसे मिलना ना हो पाए...मैं किसी काम में उलझ जाऊं...
मेरी प्यारी डायरी....तुमसे ज्यादा मैं किसी को प्यार नहीं करता....जानती हो ना मेरे दिल के सारे जज़्बात......
पता है कितना कुछ इस सीने में दफ्न है..कब से कुछ नहीं कहा..
शब्दों को दिल के किसी कोने में क़ैद कर रखा है...
पर आज दिल नहीं मान रहा..सबकुछ कह देना है तुमसे...
कह देना है कि मुझसे ज्यादा तुमसे कोई मुहब्बत नहीं करता...
हो सकता है फिर तुमसे मिलना ना हो पाए...मैं किसी काम में उलझ जाऊं...
मेरी प्यारी डायरी....तुमसे ज्यादा मैं किसी को प्यार नहीं करता....जानती हो ना मेरे दिल के सारे जज़्बात......
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