उन दो घंटों में मैने पुराना वक्त जी लिया...

बारिश की बूंदों में और तुम्हारे भीतर बहुत सारी चीजें हैं जो एक जैसी हैं....पहली चीज तो ये कि मुझे तुम दोनों से ही बेहद प्यार है....बरसात से और तुमसे.....और उस वक्त से.. कुछ ज्यादा ही.. जिसमें तुम दोनों मेरे साथ हो.


.... उन दो घंटों में मैने पुराना वक्त जी लिया......तुम आई भी तो कैसे एकदम अचानक... फोन किया उसी अधिकार से... जैसे मुझपर तुम्हारे सिवा किसी का हक ही नहीं है.......... बेहद व्यवस्तता के बावजूद मैने तुम्हारी कही बात में हामी भर दी..... पर कुछ वक्त पहले तो सोचा ही था कि तुमसे नहीं मिलूंगा... पर तुम्हारी मुस्कुराहट के आगे सब खत्म......



काफी वक्त बाद इस तरह बाहर हमने साथ खाना खाया......एक-दूसरे के साथ अच्छा वक्त बिताया....जैसे ही डिनर के बाद तुम मेरे साथ निकलीं तो देखा कि बारिश ने हमारा स्वागत किया....जैसे इसे भी पता हो कि आज हम खुश हैं.... ऐसे में बरसात तो होनी ही थी...



चंद मिनट की तुम्हारे साथ पुराने अंदाज में वॉक...ढेर सारी बातें...तुम्हारी मुस्कुराहट... कुल्हड़ वाली चाय... रुमानी हवा.... बहुत कुछ समेट लिया दो घंटों में.... एक लांग ड्राइव की कमी रह गई वो फिर कभी........सुनो... क्या फिर कभी तुम और बरसात साथ-साथ आओगे.... मुझे इंतजार रहेगा....

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