मधुशाला


पल-पल-पल-पल हर पल मुझमें... कैसी तेरी मधुशाला
रंगों में धुल...आखों..से मिल....नाच नचाती मधुशाला.
रात ढले जब.....आंख भरे तक...आओ पिए हम मधुशाला...
पथ में जबतक.. खास रहे जब......सुरमई ये आंखों का प्याला...
छल..छल शब भर छलक रही है आंखों से ये मधुशाला.....
मगन हुआ मैं...बिन पी के भी....होठों से विष का प्याला...
सुमधुर सुंदर छीर नीर सी..एक अनोखी मधुशाला.......
धड़क रहा दिल... देख...देख के.. कैसा ये सुरमई प्याला...
चलता चल तू....भर आंखों में आखों का ये मधु सारा...
राह कठिन है...यार मेरे सुन....यूं ना मिलेगी ये हाला....
कदम...बहकते पीकर इनको...तू ना बहकती मधुशाला....
पीकर इनका रंग सांवला सुरमई है पीने वाला....
हार गया गर इन सांसों से.. तो नहीं मिलेगी मधुशाला....







Comments

  1. भावाभिव्यक्ति प्रभावी है दोस्त, शब्दों को बढ़िया पिरोया है।

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  2. मनमोहक है ये मधुशाला

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  3. सच अनोखी हे ये मधुशाला

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