किसी का ख्वाब बन जाने का सुख बड़ा हसीन होता है

डियर पनीर का पराठा

नये साल पर लिखे हुए तुम्हारे शब्द मुझ तक पहुंच गए हैं। कुछ शब्द लिख रहा हूं, उन खूबसूरत शब्दों के जवाब में। लहरों पर ख्वाब लिखने की ख्वाहिश उस वक्त खत्म हो जाती है जब कोई अपने हाथ से आपका वक्त लिखने लगता है। तुम उसी तरह से जिंदगी में शामिल हो गई हो...।

खुद को किसी के ख्वाबों में देखना...किसी का ख्वाब बन जाने का सुख बड़ा हसीन होता है। उसकी चाहत से ज्यादा उसकी ख्वाहिश बन जाना। नहीं पता कि वो ख्वाहिश मैं बन गया हूं या नहीं। लेकिन ये जो भी है वो बेहद हसीन है। तुम्हारे चंद अल्फाज जिंदगी को एक अलग सी खुशी देते हैं।


अगर इसी का नाम वो तीन खूबसूरत शब्द हैं तो मैं उनकी गिरफ्त में हूं। तुम सामने नहीं होती तो अजीब सी उलझन का नाम अगर वो तीन शब्द हैं तो हां मैं उनकी गिरफ्त में हूं।

काफी वक्त हो गया है हम साथ हैं। इतने करीब रहकत इतना वक्त बिताना और एक-दूसरे से बोर न होना.... अगर ये उन खूबसूरत शब्दों के लिए कहते हैं तो वो शब्द तुम्हारे लिए ही हैं। मैं तुमसे बोर नहीं होता....इतने वक्त के बाद भी.... ये हमारी हिफाजत से संजोया गया कैश है। नोटबंदी के बावजूद हमने अपने पास लम्हे संजोए हैं। 500 और 1000 के पुराने नोटों के जैसे खूबसूरत से दिन..... ये दिन रद्दी नहीं हुए हैं। ये हमारा कालाधन है।

सुबह 4.20 मिनट पर काम के बीच ये सब लिखना अजीब है, लेकिन हम-दोनों भी तो अजीब हैं। जब आप किसी की जरूरत और आदत बन जाते हो तो तीसरे शब्द की जरूरत ही नहीं रहती...... तीसरा शब्द पता है न वो तो अपने आप हमदोनों के बीच शामिल हो गया है। हमारा गोद लिया हुआ तीसरा शब्द। बस इतना कहना है कि मुझे तुम्हारी आदत है.....जरूरत तुम खुद-ब-खुद बन गई हो।
तुम्हारा मूली का पराठा

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