मैं हमेशा लिखता रहूं और तुम मेरी कहानियां पढ़ती रहो..

वादे अक्सर टूटने के लिए होते हैं...हां ये ठीक है कि आजकल के वक्त में सारे वादे पूरे हो पाएं ये जरूरी नहीं....लेकिन सुनों हर वादा टूट जाए ये भी जरूरी तो नहीं.... ये पूरी कहानी दसवीं के उस अंग्रेजी के उस चैप्टर की तरह है जिसका नाम था फॉरगेटिंग... उस चेप्टर का सार ये था कि जो बात हम भूलना चाहते हैं वहीं भूलते हैं... यहां भी कुछ वैसी भी बात मालूम होती है...जो वादा हम तोड़ना चाहते हैं वो तोड़ देते हैं.. और जिसे नहीं तोड़ना चाहते हैं... उसे हमेशा दिल के क़रीब रखते हैं.... एक वादा जिसे मैं कभी तोड़ना नहीं चाहता वो ये कि मैं तुम्हें जिंदगी भर याद रखूंगा...और हां प्यार करूंगा...

हमारा प्यार उन साधारण सी किताबों जैसा ही तो हैं जिनमें सबकुछ आसान सी भाषा में लिखा होता है...जब हम रिलेशनशिप की शुरूआत कर रहे थे तो हमें भी कहां पता था कि हम किस ओर जा रहे हैं... और हो गया प्यार  शुरू... प्यार होता ही ऐसा है...बिना बताए हो जाता है...हमने भी पिछले दिनों में इस किताब के न जाने कितने पन्ने लिख डाले हैं..जज्बातों से...नए जमाने के ख्यालातों से... मैं और तुम खुद को जस्टिफाई नहीं कर सकते कभी भी किसी के सामने कि हमने ये क्यों किया और कैसे हुआ ये... पर हमें पता है...कुछ भी हमारे काबू में नहीं था.....हम बंधे थे चंद लफ्जों से जिसमें कुछ मैग्नैटिक सा फील था... जो खींच रहा था मुझे-तुम्हारी तरफ और तुम्हें मेरी तरफ...


तुम शॉर्ट फिल्म्स देखती हो रात-रात भर....वहीं लव स्टोरीज वाली...क्योंकि हम जिस माहौल में होते हैं... हमें वैसी ही चीज़े अच्छी लगती हैं... हमें प्यार अच्छा लगता है क्योंकि हम प्यार में होते हैं....मैं और तुम अभी उसी प्यार में हैं....एक वादा आज प्रॉमिस डे के दिन... मैं खुद तुमसे झगड़ा नहीं करूंगा.... तुम भी झगड़ा शुरू करोगी तो उसे रोक दूंगा... वहीं....

पता नहीं हमारे पास कितना वक्त है... पर इस वक्त को मैं झगड़ा करके ज़ाया नहीं करूंगा.... मुझे तुम्हारे साथ खुशी के दिन चाहिए...हमेशा मुस्कुराते हुए....अभी तो दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं...और हमने हजारों किलोमीटर साथ बिताए हैं... मुझे लगता है कि इसमें एक जीरो और लगना चाहिए....

जिंदगी भर कहानियां... लिखूंगा तुम्हारे लिए....तुम्हारे साथ बिताए गए वक्त के लिए....एक  वादा है मेरा.... तुम पढ़ना कहीं दूर किलोमीटर बैठकर उन कहानियों और किताबों को.....तुम पढ़ाकू तो हो.... और जब पढ़ोगी उन किताबों को.. तो उन में खुद को महसूस करोगी....अच्छे वक्त में कभी खराब बात नहीं करते....पर इमोशनल इंसान ऐसी बातें कर जाता है.... मैं भी कर रहा हूं... सुनो न इस दिन एक वादा करोगी मुझसे...जब मुझसे अलग होना तो रोकर नहीं खुशी से अलग होना... लड़कर नहीं ताकत बनकर रास्ते चुनना....क्योंकि मैं चाहता हूं कि हम ताउम्र टच में रहें...हमेशा....

तुम मेरा लिखा-हुआ यूं ही पढ़ती रहो...जैसे आज पढ़ रही हो...और मैं ताउम्र तुम्हारे लिए लिखता रहूं......मुझे लिखना उतना ही पसंद है जितनी कि तुम...तुम्हें ये चीज अजीब लग रही होगी... पर मुझे लिखने से भी प्यार है... पर अब मैं लिखता नहीं...क्योंकि तुम्हारे रहते मुझे किसी तरह की कोई कमी महसूस ही नहीं होती....तुम्हारी अहमियत का अंदाजा तुमसे दूर रहने पर ही होता है.. तो लिख लेता हूं....उन बेशकीमती पलों में जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता....मेरा एक वादा ये भी है तुमसे जब भी तुम्हारे साथ रहूंगा ख्याल रहूंगा तुम्हारा...हमेशा........हर तरह से......

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