इश्क तुम्हारा लिख पाऊं तो कैसा हो


बादल पर तस्वीर बनाऊं तो कैसा हो

आंखों में उम्मीद सजाऊं तो कैसा हो

यूं तो लिखना छोड़ दिया है पहले ही

इश्क तुम्हारा लिख पाऊं तो कैसा हो 

ये मौसम भी तेरा मुझसे अब रूठ गया

बरसे बूंदें और तुम्हें मनाऊं तो कैसा हो

घर जलता है, राख लगी है हाथों पर

आग बुझा कर इसे सजाऊं तो कैसा हो


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