याद है उस दिन जब हम
साथ थे, तुम कह रही थी मैं गायब हो जाऊंगी अचानक ही... तुम्हें नहीं मिलूंगी कहीं
भी खोजते रहना.... सबको बता दूंगी तुमसे कितना प्यार करती हूं....मुझे लगा नशा है
उतर जाएगा कुछ ही देर में... लेकिन फिर क्या अगले दिन नाक पर गुस्सा और अपनी जिद
को पूरा करने के लिए तुम गायब हो गई। दिनभर बात करती रही जैसे कुछ ना हुआ हो...ढेर
सारा प्यार जताया बोला.. तुम बहुत अच्छे हो.... मुझे लगा रात का नशा उतर गया है
शायद.
.....मैने अंग्रेजी में ढेर सारी लाइनें लिखीं और भेज दीं तुमतक....हालांकि मेरी अंग्रेजी कोई खास अच्छी नहीं है... लेकिन फिर भी तुमने कोई शिकायत नहीं की...तुमने शब्दों के असल मायने समझ लिए। कोई ऐसी भी शरारत करता है क्या जैसी तुमने की। गुस्सा तो इतना आया कि सामने हो तो गोली मार दूं.... हर रोज की तरह हमें मिलना था... तुम्हारे ऑफिस से आने का वक्त हो गया था। मेरी छुट्टी थी...कपड़े पहनके तुमसे मिलने के लिए तैयार हो गया था... सोचा आराम से तुम्हें फोन करुंगा...फोन लगाया कोई रिप्लाई नहीं... लगा आज थोड़ी बिजी होगी शायद.... फिर फोन लगाया....बीस मिनट तक फोन की घंटी सुनता.. रहा...मन ही मन गालियां दे रहा था...सोचा क्या हो गया तुमको....तुम्हें तो मुझसे दूर होना बिल्कुल भी पसंद नहीं है फिर अचानक तुम्हारे तेवर क्यों बदल गए.... तुम्हारी ऑफिस की दोस्त को फोन किया.... सो कॉल्ड मेरी भी फ्रेंड... पर वो तुम्हारी ही है मेरी नहीं.... पता चला तुम ऑफिस से भी गायब हो.....डेढ़ घंटे पहले ही ऑफिस से निकल गई हो...
मुझे पता है ऑफिस से निकलने के वक्त मैं तुम्हें फोन ना करूं तो तुम्हारा फोन आ ही जाता है.....लेकिन नहीं आया.... परेशानी बढ़ गई और धड़कन भी.... जितने गंदे खयाल आ सकते थे आ गए एक ही पल में..... जी घबराने लगा कि कल जो तुम कह रही थी रोते हुए वो कहीं सच तो नहीं कर दिया। तुम्हारे घर के नजदीक वाली तुम्हारी दोस्त को फोन किया... लेकिन वो अपने ऑफिस में थीं घर पर नहीं... कसम से तुम सामने होती तो गोली मार देता......तुम्हारी नौटंकियों पर मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ रहा था। अंदर ही अंदर अनहोनी का डर पागल कर दे रहा था.... मेरे घर से तुम्हारे घर तक पहुंचने में यही कोई 35 से 40 मिनट लगते हैं...भूख लगी थी जोरों की.... पर खाना हराम हो गया था... चप्पल पहन के जितनी जल्दी हो सकता था निकल गया घर से तेज कदमों के साथ...
लेकिन वक्त कहां रुकने वाला था...फोन पर लगातार उंगलियां दौड़ रही थीं.... पर मैं कहां रुकने वाला था... ऑटो में बैठ तो गया पर वो है कि चलने का नाम ही नहीं ले रहा.... मन तो किया उतर के दो कान के नीचे बजा दूं... पर खुद को कंट्रोल किया.... सड़क पर अंधेरा और रेड लाइट से होता हुआ ऑटो दौड़ने लगा.... सामने बैठी लड़कियां भी मुझे असहज होता शायद महसूस कर रही थीं। उन्हें लगा होगा कि मैं परेशान हूं....तुम्हारी ऑफिस वाली दोस्त को फिर मैसेज किया.... बोला प्लीज फोन करे तुम्हें.... पर तुम्हारे फोन पर सिर्फ रिंग बज रही थी... उसने कहा साइलेंट करके सो गई होगी...या तुम्हारा बात करने का मन ना हो......लेकिन ऐसा कभी नहीं होता.... तुम सो रही होती हो तब भी एक रिंग पर उठ जाती हो..... मन नहीं होता है तो तुरंत बता देती हो बात करने का मन नहीं है.... पर आज क्या हुआ.........
ऑटो तेजी चल रहा और मेरी धड़कने भीं......ऑटो से उतरा तुम्हारे घर की तरफ....लेकिन अभी भी आठ से दस मिनट लगने थे....तेज कदम और धड़कन साथ-साथ चल रहे थे। घर की सीढ़ियां चढ़ रहा था...तेजी से......और सीढ़ियों पर ही अचानक रूक गया....दिमाग सन्न हो गया.....गेट पर ताला लटका था....फिर तुम्हारी दोस्त को फोन लगाया......सोचा कि वो इरिटेड होगी...लेकिन फिर भी लगा दिया.... पूछा तुम्हें तो पता होगा...उसने बताया तुम दिनभर से परेशान थी...कहीं पार्क में बैठी होगी.....जल्दी से तुम्हारी सोसायटी से बाहर निकला... तुम्हारे घर के पास वाले पार्क में भी तलाश लिया पर तुम नहीं मिलीं....तुम्हारा नंबर लगातार डायल कर रहा था.... फिर अचानक फोन बजा....तुम्हारा नंबर था...जान में जान आई....ना हाय ना हलो......पूछा कहां हो तुम..... तुमने कहा मासी के घर यकीन नहीं... हुआ बोली तुम कहो तो सेल्फी भेज दूं....बोली मेरी तबियत ठीक नहीं है बिल्कुल...मेरा मन भी बहुत परेशान है....
जी भर के तुमपर गुस्सा किया...जितना हो सकता था...कुछ भी सुनने को तैयार नहीं... था....तुमने प्यार भी जताया बोली तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूं....पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था... दो घंटों से सड़कों पर धूल छान रहा हूं.....तुम एक फोन कॉल नहीं कर सकती थीं.....गुस्से में ही फोन काट दिया....वापस मुड़ गया अपने घर की तरफ......झुंझला गया था बेतहाशा....फिर मुड़ गया अपने घर की तरफ....तुमने वादा किया....सुबह तुम्हारी आंख खुलने से पहले तुम्हारे पास आ जाउंगी...मैन कहा तुम्हारा चेहरा नहीं देखना मुझे.....सो गया बिना खाना खाए......घर आ गया तुम्हारा फोन नहीं उठाया... तुमने मैसेज में आज वजह बताई अपने गायब होने की....लेकिन वो अटपटी लगी
.....सुबह आंख खुली पांच बजे.....दिल में ख्याल आया कि तुम्हारी आंख खुलने से पहले आ जाउंगी.....फिर सो गया गहरी नींद में...सात बजे फोन की घंटी बजी....तुम्हारा नंबर था.. फोन उठाया... तुम्हारी आवाज थी बोली गुड मॉर्निंग डार्लिंग.. मैने कहा कहां हो तुम.......तुम्हारा जवाब था.....गेट खोलो स्वीटहार्ट.....सारा गुस्सा जैसे गायब हो गया.............................................
.....मैने अंग्रेजी में ढेर सारी लाइनें लिखीं और भेज दीं तुमतक....हालांकि मेरी अंग्रेजी कोई खास अच्छी नहीं है... लेकिन फिर भी तुमने कोई शिकायत नहीं की...तुमने शब्दों के असल मायने समझ लिए। कोई ऐसी भी शरारत करता है क्या जैसी तुमने की। गुस्सा तो इतना आया कि सामने हो तो गोली मार दूं.... हर रोज की तरह हमें मिलना था... तुम्हारे ऑफिस से आने का वक्त हो गया था। मेरी छुट्टी थी...कपड़े पहनके तुमसे मिलने के लिए तैयार हो गया था... सोचा आराम से तुम्हें फोन करुंगा...फोन लगाया कोई रिप्लाई नहीं... लगा आज थोड़ी बिजी होगी शायद.... फिर फोन लगाया....बीस मिनट तक फोन की घंटी सुनता.. रहा...मन ही मन गालियां दे रहा था...सोचा क्या हो गया तुमको....तुम्हें तो मुझसे दूर होना बिल्कुल भी पसंद नहीं है फिर अचानक तुम्हारे तेवर क्यों बदल गए.... तुम्हारी ऑफिस की दोस्त को फोन किया.... सो कॉल्ड मेरी भी फ्रेंड... पर वो तुम्हारी ही है मेरी नहीं.... पता चला तुम ऑफिस से भी गायब हो.....डेढ़ घंटे पहले ही ऑफिस से निकल गई हो...
मुझे पता है ऑफिस से निकलने के वक्त मैं तुम्हें फोन ना करूं तो तुम्हारा फोन आ ही जाता है.....लेकिन नहीं आया.... परेशानी बढ़ गई और धड़कन भी.... जितने गंदे खयाल आ सकते थे आ गए एक ही पल में..... जी घबराने लगा कि कल जो तुम कह रही थी रोते हुए वो कहीं सच तो नहीं कर दिया। तुम्हारे घर के नजदीक वाली तुम्हारी दोस्त को फोन किया... लेकिन वो अपने ऑफिस में थीं घर पर नहीं... कसम से तुम सामने होती तो गोली मार देता......तुम्हारी नौटंकियों पर मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ रहा था। अंदर ही अंदर अनहोनी का डर पागल कर दे रहा था.... मेरे घर से तुम्हारे घर तक पहुंचने में यही कोई 35 से 40 मिनट लगते हैं...भूख लगी थी जोरों की.... पर खाना हराम हो गया था... चप्पल पहन के जितनी जल्दी हो सकता था निकल गया घर से तेज कदमों के साथ...
लेकिन वक्त कहां रुकने वाला था...फोन पर लगातार उंगलियां दौड़ रही थीं.... पर मैं कहां रुकने वाला था... ऑटो में बैठ तो गया पर वो है कि चलने का नाम ही नहीं ले रहा.... मन तो किया उतर के दो कान के नीचे बजा दूं... पर खुद को कंट्रोल किया.... सड़क पर अंधेरा और रेड लाइट से होता हुआ ऑटो दौड़ने लगा.... सामने बैठी लड़कियां भी मुझे असहज होता शायद महसूस कर रही थीं। उन्हें लगा होगा कि मैं परेशान हूं....तुम्हारी ऑफिस वाली दोस्त को फिर मैसेज किया.... बोला प्लीज फोन करे तुम्हें.... पर तुम्हारे फोन पर सिर्फ रिंग बज रही थी... उसने कहा साइलेंट करके सो गई होगी...या तुम्हारा बात करने का मन ना हो......लेकिन ऐसा कभी नहीं होता.... तुम सो रही होती हो तब भी एक रिंग पर उठ जाती हो..... मन नहीं होता है तो तुरंत बता देती हो बात करने का मन नहीं है.... पर आज क्या हुआ.........
ऑटो तेजी चल रहा और मेरी धड़कने भीं......ऑटो से उतरा तुम्हारे घर की तरफ....लेकिन अभी भी आठ से दस मिनट लगने थे....तेज कदम और धड़कन साथ-साथ चल रहे थे। घर की सीढ़ियां चढ़ रहा था...तेजी से......और सीढ़ियों पर ही अचानक रूक गया....दिमाग सन्न हो गया.....गेट पर ताला लटका था....फिर तुम्हारी दोस्त को फोन लगाया......सोचा कि वो इरिटेड होगी...लेकिन फिर भी लगा दिया.... पूछा तुम्हें तो पता होगा...उसने बताया तुम दिनभर से परेशान थी...कहीं पार्क में बैठी होगी.....जल्दी से तुम्हारी सोसायटी से बाहर निकला... तुम्हारे घर के पास वाले पार्क में भी तलाश लिया पर तुम नहीं मिलीं....तुम्हारा नंबर लगातार डायल कर रहा था.... फिर अचानक फोन बजा....तुम्हारा नंबर था...जान में जान आई....ना हाय ना हलो......पूछा कहां हो तुम..... तुमने कहा मासी के घर यकीन नहीं... हुआ बोली तुम कहो तो सेल्फी भेज दूं....बोली मेरी तबियत ठीक नहीं है बिल्कुल...मेरा मन भी बहुत परेशान है....
जी भर के तुमपर गुस्सा किया...जितना हो सकता था...कुछ भी सुनने को तैयार नहीं... था....तुमने प्यार भी जताया बोली तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूं....पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था... दो घंटों से सड़कों पर धूल छान रहा हूं.....तुम एक फोन कॉल नहीं कर सकती थीं.....गुस्से में ही फोन काट दिया....वापस मुड़ गया अपने घर की तरफ......झुंझला गया था बेतहाशा....फिर मुड़ गया अपने घर की तरफ....तुमने वादा किया....सुबह तुम्हारी आंख खुलने से पहले तुम्हारे पास आ जाउंगी...मैन कहा तुम्हारा चेहरा नहीं देखना मुझे.....सो गया बिना खाना खाए......घर आ गया तुम्हारा फोन नहीं उठाया... तुमने मैसेज में आज वजह बताई अपने गायब होने की....लेकिन वो अटपटी लगी
.....सुबह आंख खुली पांच बजे.....दिल में ख्याल आया कि तुम्हारी आंख खुलने से पहले आ जाउंगी.....फिर सो गया गहरी नींद में...सात बजे फोन की घंटी बजी....तुम्हारा नंबर था.. फोन उठाया... तुम्हारी आवाज थी बोली गुड मॉर्निंग डार्लिंग.. मैने कहा कहां हो तुम.......तुम्हारा जवाब था.....गेट खोलो स्वीटहार्ट.....सारा गुस्सा जैसे गायब हो गया.............................................
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