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मेरे किस्सों में तुम हो...काफी अरसे से.

सुनों कुछ कहने का मन है वो नहीं जो हमेशा कहता हूं

तुम क्यों नहीं समझती टूटते इश्क की मजबूरी

मैं खुद में कुछ ढूंढ रहा हूं, शायद तुम्हें धड़कनों की रफ्तार में

मेरे जैसे लड़के ऐसे ही होते हैं पर लड़कियां तुम्हारी जैसी हों ये ज़रूरी नहीं

प्यार में बेमतलब की बातों के ज़्यादा मायने होते हैं

अच्छा लगता है बीमार पड़ना... बीमारी में तुम्हारा करीब रहना

मेरा हर दिन तुम्हारी बाहों से निकल कर तुम्हारी बाहों में घुसना ही तो है

तुम गायब हो गई अचानक ही बिना बताए.....