सर्दी खत्म नहीं हुई है अभी और सर्दी लग गई मुझे... हमेशा ऐसा ही होता है... मुझे सर्दी लग ही जाती है... पर अच्छा लगता है बीमार पड़ना... बीमारी में तुम्हारा करीब रहना... बच्चा बनना और बने रहना...तुमसे अपनी जिदें मनवाना अच्छा लगता है... तुम्हारी हिदायतों को सुनना...और सुनते रहना अच्छा लगता है...
हां वैसे हमेशा यही होता है कि तुम जिदें मनवाती हो हमेशा...पर कभी कभी मेरी जिंदे मुंह बनाकर ही सही जब मान जाती हो तो अच्छा लगता है... जब आती हो तो कदमों की आहट पहचान लेता हूं... पर बिना कहे मेरी बात समझ लेती हो तो अच्छा लगता है...
तुम जब बोलती हो... लगातार... बोलती रहती हो... मैं सुनता हूं और सुनता रहता हूं...फिर टोक देता हूं... तुम्हें बीच में किसी और बता का जिक्र कर तुम रूठ जाती हो कि मैं सुनता नहीं तुम्हारी बातें.... पर मुझे तुम्हारा इस तरह रूठना अच्छा लगता है...
अच्छा लगता है जब गलती करती हो और डांट पड़ती है मुझसे तो सिर झुकाकर सुनती हो... पर कभी सॉरी नहीं बोलती बच्चों की तरह... पर ये भी अच्छा लगता है... तुम्हारा चेहरा मासूम बच्चों जैसा हो जाता है उस वक्त... मुझे वो तुम्हारा चेहरा देखना और देखते रहना अच्छा लगता है... बहुत कुछ है पर अगले दिन... इंतजार करो... बहुत कुछ कहना है इन खास दिनों से...
हां वैसे हमेशा यही होता है कि तुम जिदें मनवाती हो हमेशा...पर कभी कभी मेरी जिंदे मुंह बनाकर ही सही जब मान जाती हो तो अच्छा लगता है... जब आती हो तो कदमों की आहट पहचान लेता हूं... पर बिना कहे मेरी बात समझ लेती हो तो अच्छा लगता है...
तुम जब बोलती हो... लगातार... बोलती रहती हो... मैं सुनता हूं और सुनता रहता हूं...फिर टोक देता हूं... तुम्हें बीच में किसी और बता का जिक्र कर तुम रूठ जाती हो कि मैं सुनता नहीं तुम्हारी बातें.... पर मुझे तुम्हारा इस तरह रूठना अच्छा लगता है...
अच्छा लगता है जब गलती करती हो और डांट पड़ती है मुझसे तो सिर झुकाकर सुनती हो... पर कभी सॉरी नहीं बोलती बच्चों की तरह... पर ये भी अच्छा लगता है... तुम्हारा चेहरा मासूम बच्चों जैसा हो जाता है उस वक्त... मुझे वो तुम्हारा चेहरा देखना और देखते रहना अच्छा लगता है... बहुत कुछ है पर अगले दिन... इंतजार करो... बहुत कुछ कहना है इन खास दिनों से...
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