जब बात बंद हो जाए तो सबसे अच्छा तरीका है ख़त लिखे जाएं. कही जाएं वो
बातें जो सामने नहीं कही जा सकतीं. कसम टूट जाना रिश्ते का टूट जाना नहीं होता.
नहीं होता मुस्कुराहट का खत्म हो जाना.. प्यार का खत्म हो जाना तो कतई नहीं. प्यार
तो कभी कसमों में बंध ही नहीं सकता. तुम्हें पता है तुम्हारी बकबक से भी मुझे
प्यार है. तुम्हारी बातें बनाने से भी...जब तुम लंबे समय तक मुझसे बात नहीं करती
तो मुस्कुराना भूल जाती हो. वो तो और भी ख़तरनाक है जब तुम बात करो और सिर्फ मतलब
की . प्यार में बेमतलब की बातों के ज़्यादा मायने होते हैं. नदियां बेमतलब ही बहती
हैं हम उनके बहने का मतलब निकालते हैं क्योंकि हमें उनसे प्यार होता है... पहाड़
भी अपनी अकड़ में खड़े रहते हैं और हम उनके पास उनकी उसी अकड़ को महसूस करने जाते
हैं उनके मतलब निकालते हैं. तुम्हें नहीं लगता वो सब बेमतलब सा ही है. हमारे बीच
भी सब बेमतलब सा ही.
तुम इन दिनों मुस्कुरा नहीं रही, चुप हो इसलिए कि मैंने कहा तुमसे कि
मुझे बंधना पसंद नहीं. तुम कसमों में मत बांधों मुझे. हां ये सच है पर प्यार से
मुस्कुराना, बेमतलब की बातें करना. साथ बैठकर ढेर सारे वीडियोज़ देखना जो बेमतलब
से ही हैं वो करने से तो मना नहीं किया. तुम्हारा चुप हो जाना वैसे ही है जैसे
बिना ऑडियो के वीडियो को देखना. मुझे मूकबधिर फिल्में पसंद नहीं हैं. तुम्हारी
हंसी प्यारी है तो मुस्कुराती क्यों नहीं इन दिनों.
तुमने कहा कि हमारे बीच सब बदल गया है, पहले जैसा कुछ नहीं रहा. तुमने
उसका दोष सिर्फ मुझ पर नहीं रखा खुद पर भी रख दिया. लेकिन ये सच नहीं है, कभी-कभी
हम चीज़ों के मायने अलग निकाल लेते हैं. चीज़ें अजीब लगने लगती हैं, लेकिन उसका
मतलब बदल जाना नहीं होता. हां रिश्ते में बेतकल्लुफी बढ़ जाती है, हम जो छुपाना
चाहते हैं वो छुपा नहीं पाते, कह जाते हैं वो सब भी जो कहना नहीं चाहते. हमें डर
नहीं होता किसी बात का, किसी के रूठ जाने का, क्योंकि हमें पता होता है कि दूसरे
को कैसे मनाना है.
जब भी तुम्हारी मूड ख़राब हो तो उस सफर पर घूम आना जिस पर मैं अक्सर
घूम आता हूं और खुद तरोताज़ा महसूस करता हूं. हमारे साथ बिताए पलों की दुनिया. उन
शहरों की दुनिया जिनमें हमनें साथ में बहुत वक्त बिताया है. इनको भी शुरु से महसूस
करना. उस जगह जाना जहां हमारा वक्त कैद है. तुम महसूस करोगी की हर दिन हमारी
तुम्हारी बेतकल्लुफी बढ़ी है. प्यार बढ़ा है और बेमतलब की बातें भी. पता है मुझे
कि जब तक तुम्हें प्यार से समझाया न जाए, तुम समझती ही नहीं. मैं भी खामोश हूं,
क्योंकि तुम खामोश हो.. .जब तक मुस्कुराओगी नहीं तो मैं कैसे मुस्कुराऊंगा. चलो आज
का ये ख़त लिखकर मुस्कुराना ज़रूर. कुछ दिनों से तुम्हारी हंसी नहीं देखी.
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