तू गली है वो जो हर पहर आबाद रहती है




ख्वाब हर वक्त अपने हो नहीं सकते
तेरी फितरत तो हमेशा मेरे साथ रहती है.

मैं अकेला यूं ही हो नहीं सकता
अक्सर मेरे साथ एक किताब रहती है

चेहरे पर उभर आती है रंगीन चमक
जब होठों पर तेरे हंसी बेशुमार रहती है

सुकून है या सुकून की तलाश में हूं
बस यही एक कसक बेताब रहती है

तेरी चाहत हमेशा दिल में रहेगी ही
तू गली है वो जो हर पहर आबाद रहती है

पूछा किसी से जब मैने तेरा पता
उसने कहा वो तो अब इलाहाबाद रहती है

पलके हैं कि बंद होती नहीं
नींद तो आंखों में बेहिसाब रहती है










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