मेरे किस्सों में तुम हो...काफी अरसे से.

मैं तुम्हें छोड़ना नहीं चाहता...बिल्कुल नहीं...कभी भी नहीं...पर हर रोज जाने-अनजाने ही सही तुम मुझे ये सोचने पर मज़बूर कर ही देती हो....हम झगड़ते हैं बिल्कुल बच्चों की तरह..रूठते भी हैं उन्हीं की तरह...मैं कुछ ज़्यादा ही...वज़ह भी तो है रूठने की...जिस शख्स से उसकी सबसे प्यारी चीज़ जब जुदा होने लगती है तो रूठना तो बनता ही है... छोटी-छोटी चीज़ें जब इश्क में बड़ी खुशी दे सकती हैं तो दुख भी तो ऐसा ही देती होंगी न जिससे दिल टूट जाए... पर हर बार कांच के जैसे दिल कैसे तोड़ता रहूं...

कैसे सोचता रहूं कि तुम न सही तो कोई और सही...क्या हमारी पसंद बदल सकती हैं..क्या हम कभी वो काम करना छोड़ देते हैं जो हमें सबसे ज़्यादा पसंद हो...तुमसे इश्क करना भी तो कुछ वैसा ही है... मैं भी वैसा ही हूं...साधारण सा....गुरूर इस बात का नहीं कि मैं अच्छा हूं....पर हां मेरी रूह पाक है.... बिल्कुल पानी के जैसी... तासीर भी मेरी उसी के जैसी है.....मैं नहीं हो सकता वैसा जैसे सब होते हैं...

सब होते होंगे जिनकी ज़िंदगी में हर रोज़ किस्से लिखे जाते होंगे उनके...मैं वैसा नहीं हूं...बिल्कुल नहीं....मेरे किस्सों में तुम हो...काफी अरसे से....इश्क तो लम्हों में होता है हमें तो सालों हो गए... वैसे ही इश्क करते-करते....

फूल खुशी दे जाते हैं तुम्हें ये कहती हो तुम.....हां पता है मुझे....पर मुझे ये सिर्फ तब खुशी देते हैं जब इन्हें मैं तुम्हारे लिए लाता हूं... और तब जब तुम ले आती हो बेवजह ही मेरे लिए... मेरे रूठने पर....हां मैं तुम्हारे रूठने पर नहीं लाता... पर उस वक्त लाता हूं जब तुम्हारे चेहरे पर मुझे हंसी देखनी होती है...उसके लिए मैं बारिश में भीगते हुए भी जा सकता हूं... और धूप में तपते हुए भी....ठंड का भी मुझ पर उस वक्त कुछ असर नहीं होता....मुझे ये सब ऑनलाइन ख़रीदना पसंद नहीं....खुद के हाथों से संजो कर लाए हुए फूल ज्यादा खुशी देते हैं...क्योंकि उनमें इश्क ज़्यादा होता है...

जो मैं करता हूं तुम्हारे लिए वो कोई और करे तो क्या तुम्हें खुशी होती है....कोई वो सब दोहराए जो मैं किया करता था तो क्या तुम वैसा ही महसूस करती हो जैसा मेरे करने पर करती थी... तुम क्या घंटों यूं ही बेवज़ह किसी और के साथ घंटों घूम सकती हो जैसे मेरे साथ घूमती थी....अगर इन सब का जवाब हां है तो मुझे दूर चले जाना चाहिए तुमसे....हो सकता है मैं ऐसा न कर पाऊं....नहीं कर पाता....अभी तक नहीं कर पाया..... पर लगता मुझे कुछ ऐसा ही.....कि हां मुझे दूर चले जाना चाहिए.....मिटा देने चाहिए वो सारे निशान जहां-जहां तुम हो.....

तुम्हारा
आवारा आशिक

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