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आवारा आशिक
आवारगी के अलावा कुछ नहीं
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Showing posts from October, 2018
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क्या तुम्हारी भी देह वैसी ही है..जैसी किसी प्रेमिका की होती है..
October 31, 2018
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कविता
कविता
तू गली है वो जो हर पहर आबाद रहती है
October 18, 2018
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गज़ल
गज़ल
रुठेंगे वो हमसे तो मना लेंगे हम रुठकर
October 18, 2018
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गज़ल
गज़ल
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