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दिल है या आईना तुम्हारा मुझे मेरा अख्श नज़र आता है

मेरे किस्सों में तुम हो...काफी अरसे से.

सुनों कुछ कहने का मन है वो नहीं जो हमेशा कहता हूं

तुम क्यों नहीं समझती टूटते इश्क की मजबूरी