Posts

मुस्कुराना फितरत है तेरी तो फिर से खिलखिला ज़रा

तुम मेरा कोई अधूरा ख्वाब सा हो, सीने में दफन अधूरा राज़ सा हो

कांपते होठों से जो निकले सदा कोई तड़पती सी, लगे कुछ अनसुनी आवाज़ हवाएं मोड़ लायी है

तुम कहती हो मुस्कुराता रहूं यूं ही, चेहरा ही तो है तुम्हारे न होने पर उतर जाता है

देखकर ख्वाब कोई चेहरे पर हंसी उभर आई है, लगा कि जैसे आसमां की परी उतर आई है