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भावों से बंधे ये शब्द मेरे... बहती नावों से हैं...

कीबोर्ड पर दौड़ती उंगलियां बड़ी सेक्युलर होती हैं

मुझे तुम पसंद हो..........

तुम एक नोबेल जैसी हो

तुम उलझी हो मुझमें रेशम के धागे के जैसी....

किसी का ख्वाब बन जाने का सुख बड़ा हसीन होता है

मेरा हर दिन तुम्हारी बाहों से निकल कर तुम्हारी बाहों में घुसना ही तो है