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तुम उलझी हो मुझमें रेशम के धागे के जैसी....

किसी का ख्वाब बन जाने का सुख बड़ा हसीन होता है

मेरा हर दिन तुम्हारी बाहों से निकल कर तुम्हारी बाहों में घुसना ही तो है

तुम गायब हो गई अचानक ही बिना बताए.....

जज्बातों की रेत पर तुम्हारे पांव के निशान

मधुशाला

किसी की आंखें तुम्हारे जैसी भी तो नहीं

तुम वही हो जिसकी ख्वाहिश हम जैसे लड़कों को होती है....

उन दो घंटों में मैने पुराना वक्त जी लिया...

इश्क‬-का-रंग-सफेद

तुम मुझसे पीछा छुड़ाती रही

तू मेरी समझ है या समझ से परे

बेपरवाह.. लापरवाह...सी तुम...